दीपावली
ज्योति के नव-पुंज सी आ गयी दीपावली
ज्ञान की हो उजासा हृदय-दीप टिमटिमायें l
भेद-भाव सब मिटें और दूर सारे कष्ट हों
नेह की भावनायें मेघ बन कर बरस जायें l
हर निराश हृदय में आस का दीपक जले
बुराइयों का दमन और दूर हों सब व्यथायें l
मार कर हम निशाचर लोभ-स्वार्थ-बैर का
शांति और विश्वास के गीत मिल गुनगुनायें l
प्रण सभी के साथ हों स्वर सभी के साथ हों
नव-ऊर्जा, नव-चेतना से दीपावली हम मनायें l
-शन्नो अग्रवाल
Nice composed..:)